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 परम्परागत कृषि विकास योजना 2024: ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म पुरानी परंपराओं से लाखों कमाएं!

By Ravi Bhushan Ray

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Short Details :- जैविक खेती एक स्वस्थ विकल्प है जो पारंपरिक खेती से बेहतर है। जैविक खेती में कम कीटनाशकों का उपयोग होता है और इससे भूजल और सतह के पानी में नाइट्रेट की लीचिंग कम होती है। सरकार द्वारा किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024 के माध्यम से उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने की प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। यहाँ आपको योजना का उद्देश्य, विशेषताएं, लाभ, पात्रता, महत्वपूर्ण दस्तावेज आदि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। अगर आप जैविक खेती करने के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।

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New Update :- केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य देश के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना है। PKVY Scheme 2024 के अंतर्गत किसानों को जैविक कृषि करने में सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना को सॉइल हेल्थ योजना के तहत शुरू किया गया है। परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत आधुनिक विज्ञान का उपयोग करके जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य मिटटी की उर्वरता को बढ़ाना है और बिना कृषि रसायनों का उपयोग किए स्वस्थ भोजन के उत्पादन में सहायता प्रदान करना है। इस आर्टिकल में हम आपको इस योजना के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे, इसलिए कृपया Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024 का यह लेख पूरा पढ़ें।

Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024

Highlights Of Paramparagat Krishi Vikas Yojana

📜 योजना का नामपरम्परागत कृषि विकास योजना
🚀 किसने आरंभ कीभारत सरकार
👥 लाभार्थीकिसान
🎯 उद्देश्यजैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना।
🌐 आधिकारिक वेबसाइटhttps://pgsindia-ncof.gov.in/PKVY/Index.aspx
📅 साल2024
📝 आवेदन का प्रकारऑनलाइन/ऑफलाइन
💰 वित्तीय सहायता₹50000

Paramparagat Krishi Vikas Yojana

परंपरागत कृषि विकास योजना, जिसे सॉइल हेल्थ योजना के तहत आरंभ किया गया है, किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखती है। सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है ताकि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के संयुक्त प्रयास से जैविक खेती को बढ़ावा मिले। Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024 का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है और इसके तहत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, आदनों के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपणन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य 2015-16 में रसायनिक मुक्त जैविक खेती को क्लस्टर मोड में बढ़ावा देना था।

मुख्य उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को जेविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत किसानों को जेविक खेती के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी। इसके अलावा, परंपरागत कृषि विकास योजना 2024 के माध्यम से रसायनिक मुक्त और पौष्टिक भोजन का उत्पादन हो सकेगा क्योंकि जेविक खेती में कम कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। परंपरागत कृषि विकास योजना देश के नागरिकों की सेहत में सुधार करने में भी सहायक होगी। इस योजना को जेविक खेती को क्लस्टर मोड में बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी आरंभ किया गया है।

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 योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता

इस योजना के तहत, पैराम्परिक कृषि विकास योजना 2023 के जरिए ₹50,000 प्रति हेक्टेयर की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसमें से ₹31,000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए जैविक पदार्थों जैसे कि उर्वरक, कीटनाशक, बीज आदि की खरीद के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, ₹8,800 प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए मूल्यवर्धन और विपरण के लिए भी धन उपलब्ध है। पिछले 4 वर्षों में, पैराम्परिक कृषि विकास योजना के माध्यम से ₹1,197 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इस योजना के तहत, क्षमता निर्माण और क्षेत्रीय विकास के लिए हर हेक्टेयर के लिए ₹3,000 की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है, जिसमें एक्स्पोज़र विजिट और किसानों के प्रशिक्षण शामिल है। यह राशि किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए उपयुक्त तरीके से वितरित की जाती है।

इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक क्लस्टर को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। मोबाइलाइजेशन, मैनेजमेंट और पीजीएस सर्टिफिकेट के एडॉप्शन के लिए 14.95 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। 50 एकड़ या 20 हेक्टेयर के क्लस्टर के लिए ₹1000000 तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। खाद प्रबंधन और जैविक नाइट्रोजन संचयन की गतिविधियों के अंतर्गत प्रत्येक किसान को हेक्टेयर प्रति ₹50000 तक की राशि प्रदान की जाएगी। कुल सहायता में से 4.95 लाख रुपए प्रति क्लस्टर पीजीएस प्रमाणन और गुणवत्ता नियंत्रण को जुटाने और अपनाने के लिए कार्यान्वयन एजेंसी को मुहैया कराए जाएंगे।

योजना के लाभ

  • भारत सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना का शुभारंभ किया गया है।
  • इस योजना को सोयल हेल्थ योजना के अंतर्गत आरंभ किया गया है।
  • इस योजना के माध्यम से जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
  • यह योजना पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक विकास के माध्यम से खेती के स्थाई मॉडल को विकसित करने में मदद करेगी।
  • इस योजना के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
  • परम्परागत कृषि विकास योजना 2023 के माध्यम से क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, आदनों के लिए प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपरण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इस योजना को सन 2015-16 में रसायनिक मुक्त जैविक खेती को क्लस्टर मोड में बढ़ावा देने के लिए आरंभ किया गया है।
  • Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024 के अंतर्गत सरकार द्वारा जैविक खेती के लिए ₹50000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इस राशि में से ₹31000 प्रति हेक्टेयर की राशि जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों, बीजों आदि के लिए प्रदान किए जाएंगे।
  • मूल्यवर्धन एवं वितरण के लिए ₹8800 रुपया प्रदान किए जाएंगे।
  • इसके अलावा क्लस्टर निर्माण एवं क्षमता निर्माण के लिए ₹3000 प्रति हेक्टेयर प्रदान किए जाएंगे। जिसमें एक्स्पोज़र विजिट एवं फील्ड कर्मियों का प्रशिक्षण भी शामिल है।
  • पिछले 4 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत ₹1197 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
  • इस योजना के अंतर्गत लाभ की राशि सीधे किसानों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से वितरित की जाती है।

मुख्य विशेषताएं

  • जैविक खेती के लिए चुना गया क्षेत्र 20 हेक्टेयर या 50 एकड़ की सीमा में होना चाहिए और इसे सजीव रखने के लिए समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए।
  • 20 हेक्टेयर या 50 एकड़ के क्षेत्र के लिए उपलब्ध कुल वित्तीय सहायता 10 लाख रुपए तक होगी।
  • एक क्षेत्र में किसानों की कुल संख्या का कम से कम 65% किसानों को लघु और सीमांत श्रेणी के लिए आवंटित किया जाएगा।
  • इस योजना के तहत बजट आवंटन का कम से कम 30% महिला लाभार्थियों/किसानों के लिए किया जाना चाहिए।

दि गई वित्तीय सहायता

सालबजट एस्टीमेट (करोड़)रिवाइज्ड एस्टीमेट (करोड़)रिलीज (करोड़)
2017-18350250203.46
2018-19360335.91329.46
2019-20325299.36283.67
2020-21500350381.05
कुल15351235.271197.64

योजना का कार्यान्वयन

  • राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन – प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना को इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट के ऑर्गेनिक फार्मिंग सेल के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा। इस योजना के दिशा निर्देश नेशनल एडवाइजरी कमिटी के ज्वाइंट डायरेक्टर के माध्यम से तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्तर पर योजना का कार्यान्वयन डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, कोऑपरेटिव एंड फार्मर वेलफेयर के माध्यम से भी किया जाएगा।
  • राज्य स्तर पर कार्यान्वयन – राज्य स्तर पर इस योजना का कार्यान्वयन राज्य कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा किया जाएगा। विभाग द्वारा पंजीकृत क्षेत्रीय परिषदों की भागीदारी के साथ योजना को लागू किया जाएगा।
  • जिला स्तर पर कार्यान्वयन – इस योजना का जिला स्तर पर कार्यान्वयन रीजनल काउंसिल के माध्यम से किया जाएगा। एक जिले में एक या एक से अधिक रीजनल काउंसिल भी हो सकते हैं जो सोसाइटीज एक्ट, पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, कोऑपरेटिव एक्ट या कंपनीज एक्ट के अंडर रजिस्टर्ड होंगे।

अंतर्गत एनुअल एक्शन प्लान

  • परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत पीजिएस सर्टिफिकेशन और क्वालिटी कंट्रोल का 3 वर्षीय प्रोग्राम है।
  • इसके लिए रीजनल काउंसिल को अपना कार्य योजना तैयार करना होगा।
  • यह कार्य योजना राज्य कृषि विभाग को प्रस्तुत की जाएगी। कार्य योजना की मंजूरी के बाद, राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • वित्तीय सहायता प्राप्त होने के बाद, रीजनल काउंसिल द्वारा स्थानीय समूहों और किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी।
  • वार्षिक कार्य योजना को रीजनल काउंसिल द्वारा मार्च महीने में प्रस्तुत किया जाएगा।
  • मई तक, केंद्र सरकार द्वारा कार्य योजना की मंजूरी दी जाएगी और मध्य मई में वित्तीय सहायता रीजनल काउंसिल को प्रदान की जाएगी।

आवेदन के लिए पात्रता

  • इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए आवेदक को भारत में स्थायी निवास होना आवश्यक है।
  • आवेदक को किसान होना चाहिए जो इस योजना के तहत आवेदन करना चाहता है।
  • आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

आवेदन करने की प्रक्रिया

  • अब जब आप वेबसाइट पर आएंगे, तो होम पेज दिखाई देगा।
  • होम पेज पर आपको ‘अप्लाई नाउ’ विकल्प पर क्लिक करना होगा।
  • उसके बाद आपको आवेदन पत्र दिखाई देगा।
  • आपको आवेदन पत्र में अपना नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी आदि दर्ज करना होगा।
  • फिर आपको सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अपलोड करना होगा।
  • अंत में, आपको ‘सबमिट’ विकल्प पर क्लिक करना होगा।
  • इस तरह आप परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत आवेदन कर सकेंगे।

पोर्टल पर लॉगइन करने की प्रक्रिया

  • सबसे पहले आपको परम्परागत कृषि विकास योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

  • जब आप वेबसाइट पर जाएंगे, तो होम पेज दिखाई देगा।
  • वहाँ आपको लॉगिन विकल्प पर क्लिक करना होगा।
  • फिर एक डायलॉग बॉक्स आएगा, जिसमें आपको अपना यूजरनेम, पासवर्ड और कैप्चा कोड डालना होगा।
  • अब आपको लॉगिन करने के लिए विकल्प पर क्लिक करना होगा।
  • इस तरह से आप सफलतापूर्वक पोर्टल पर लॉगिन कर पाएंगे।

कांटेक्ट डिटेल देखने की प्रक्रिया

  • पहले आपको परंपरागत कृषि विकास योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
  • वहाँ आपको होम पेज दिखाई देगा।
  • होम पेज पर जाकर आपको ‘कंटैक्ट अस’ विकल्प पर क्लिक करना होगा।

Conclusion

Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024 (पीकेवीवाई) जैविक खेती को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाती है। यह योजना क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाती है और किसानों को जैविक खेती के लिए वित्तीय सहायता व प्रशिक्षण प्रदान करती है। पार्टिसिपेटरी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) प्रमाणन के जरिए उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाती है।

FAQ Related Paramparagat Krishi Vikas Yojana

✔️ परंपरागत कृषि विकास योजना क्या है?

बारे में 2015 में लॉन्च परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस), सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम) का एक विस्तारित घटक है। पीकेवीवाई का लक्ष्य जैविक खेती का समर्थन और प्रचार करना है, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

✔️ पारंपरिक खेती से आप क्या समझते हैं?

भारतीय संदर्भ में पारंपरिक खेती का तात्पर्य उस खेती से है जो कई पीढ़ियों के अनुभव से संचित ज्ञान और बुद्धिमत्ता के साथ की जाती है। अधिकांश जानकारी दृश्य और श्रवण निर्देशों के माध्यम से संप्रेषित की जाती है। यह अक्सर क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुकूल होता है।

✔️ पारंपरिक तरीकों के क्या फायदे हैं?

एक फायदा यह है कि पारंपरिक तरीके, जैसे व्याख्यान और पाठ्यपुस्तकें, सीखने के लिए एक संरचित और संगठित दृष्टिकोण प्रदान करते हैं । ये विधियां शिक्षक से छात्रों तक ज्ञान के हस्तांतरण की भी अनुमति देती हैं, जो कुछ विषयों में फायदेमंद हो सकती हैं।

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Ravi Bhaushan Ray heads Content at Sarkariyojnaa.com. He has 2 years of experience in creating content for academic and professional audiences. He has led editorial teams in Online Media, Academic Books & Journals Publishing, Test Prep, Study Abroad and eLearning. He has postgraduate degrees in Social Sciences and Management and…

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